Wednesday 18 December 2013

दहेज एक्ट: दोषी से अधिक फंसते बेगुनाह

मैनपुरी। दहेज उत्पीड़न के मामलों में निर्दोष ससुराली जनों को फंसाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में कानून के दुरुपयोग को रोके जाने की भी बात कही है। लेकिन जनपद में भी दहेज उत्पीड़न के कई मामले हैं, जिनमें निर्दोष ससुरालीजन सजा भुगत रहे हैं।
दहेज की खातिर विवाहिता द्वारा ससुराली जनों पर उत्पीड़न का आरोप लगाकर थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी जाती है। इन मामलों में परिवार से अलग रहने वालों को भी फंसा दिया जाता है। ऐसे मामलों में ननद और ननदोई को भी आरोपित किया जाता है। 

केस - एक 
नगर के गाड़ीवान निवासी सुनीता की शादी कन्नौज निवासी प्रदीप के साथ पांच साल पहले हुई थी। ससुराल वालों से विवाद के बाद सुनीता मायके आ गई। उसने ससुराली जनों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा कोर्ट में दायर किया। मुकदमे में जेठ दिलीप को भी आरोपी बनाया गया। पत्नी और बच्चों के साथ दिलीप दिल्ली में रहते हैं। प्रदीप के बहनोई राकेश और बहन को भी आरोपी बनाया गया। जबकि दोनों भिंड में रहते हैं। यह मामला अदालत में विचाराधीन है।

केस - दो 
नगर के रघुराजपुरी निवासी नीलम की शादी दो साल पहले कानपुर निवासी संजय के साथ हुई थी। तीन माह पहले नीलम मायके आ गई। ससुराल के लोगों पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाकर कोर्ट में मुकदमा दायर किया। जेठ विजय और जेठानी को भी आरोपी बनाया गया। अलीगढ़ में रहने वाली ननद और ननदोई पर भी दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है। यह मामला भी न्यायालय में विचाराधीन है।

दहेज उत्पीड़न के मामले
वर्ष मामले
2010 68
2011 72
2012 74
2013 ( सितंबर तक ) 57

बहू को पुत्री का दें दर्जा
परिवार परामर्श केंद्र की सदस्या मिथलेश दुबे कहती हैं कि दहेज संबंधी वारदातें रोकने के लिए सामाजिक बदलाव की आवश्यकता है। बहू को पुत्री के बराबर मानने पर ही ऐसी घटनाओं पर रोक लग सकती है। दहेज संबंधी अपराधों में अपराधियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता
फौजदारी के अधिवक्ता अनिल कुमार शर्मा कहते हैं कि अधिकांश मामलों में ससुराल में सामंजस्य न बिठा पाने पर लड़कियां मामूली विवाद के बाद मायके आ जाती हैं। परिवार के लोग समझौता करने की बजाय कोर्ट में मुकदमा दायर कर देते हैं। विवाहित ननदों को आरोपी बनाकर समझौते का दबाव बनाते हैं। ऐसे में निर्दोषों को फंसाए जाने के मामले में समाज में जागरूकता लाने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

Original NEWS Source:- http://www.amarujala.com/news/states/uttar-pradesh/mainpuri/Mainpuri-68201-1/

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