मुंबई।। बार-बार आत्महत्या की कोशिश करना या ऐसा करने की धमकी देना भी ‘क्रूरता’ के समान है और इसे तलाक हासिल करने की एक ठोस वजह माना जा सकता है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह व्यवस्था दी है।
हाई कोर्ट ने पारिवारिक अदालत के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह व्यवस्था दी। पुणे की पारिवारिक अदालत ने वर्षा और प्रकाश (दोनों नाम बदले हुए) के बीच तलाक की मंजूरी दी थी। पति प्रकाश ने 2002 में पारिवारिक अदालत में तलाक की अर्जी दी थी। लेकिन पारिवारिक अदालत के फैसले के खिलाफ वर्षा ने अपील की। दोनों पिछले 17 साल से अलग रह रहे हैं।
प्रकाश ने इस आधार पर अपनी पत्नी से तलाक मांगा था कि वह बहुत गुस्सैल है, अक्सर झगड़ा करती है और आत्महत्या करने की धमकी देती है। पारिवारिक अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान वर्षा ने स्वीकार किया था कि मैंने दो बार आत्महत्या करने की कोशिश की थी। उसने कहा कि एक बार मैंने पुल से कूदने की कोशिश की और दूसरी बार कीटनाशक पीना चाहा, लेकिन दोनों बार बचा ली गई।
पारिवारिक अदालत के फैसले को सही बताते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि आत्महत्या की धमकी देना और आत्महत्या का प्रयास करने का अपीलकर्ता का व्यवहार कानून की नजर में मानसिक हिंसा है। डिविजन बेंच ने कहा कि ऐसे हालात में एक पति से अपनी पत्नी के साथ रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती। वर्षा के वकील ने दलील दी कि ससुरालियों के दुर्व्यवहार के कारण वर्षा ने आत्महत्या की कोशिश की। लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए दलील ठुकरा दी कि जब दंपती पति के परिवार से अलग रहने लगा, तब भी आत्महत्या की कोशिशें जारी रहीं।
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